मेरा अपना अनुभव रहा है की प्रत्येक व्यक्ति के जीवन को दो चीजे प्रभावित करती है एक भाग्य और दूसरा वास्तु। 50% भाग्य 50% वास्तु अगर आपके सितारे बुलंद है तथा वास्तु गड़बड़ है तो प्रयास की तुलना में नतीजे आधे मिलेंगे। इसके विपरीत यदि आपका वास्तु सही है ग्रह दशा ठीक नहीं है तो भी उतने कष्ट नहीं झेलने पड़ते जितने दोनों ही गड़बड़ हो तो अर्थात यदि वास्तु शास्त्र के सिद्वांतो के अनुसार घर फैक्ट्री , ऑफिस का निर्माण कराया जाए तो मनुष्य के भाग्य की स्थिति बदल सकती है। इसका एक उदहारण मै देता हूँ यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में राहु खाना न. 4 में है और वर्षफल या गोचर में भी राहु खाना न. 4 में है इसके साथ ही जल स्थान अर्थात ईशाण कोण (उत्तर पूर्व ) में लैटरीन बनी हो या गटर हो , नाला हो , तो अब उसे इसके 100% दुष्परिणाम भुगतने पड़ेंगे।
मेरा अनुभव है की उत्तर पूर्व (ईशाण ) कोण में यदि लैटरिन , गटर आदि बना लिया जाये तो घर के मुखिया का स्वास्थ्य क्षीण ही रहेगा , घर में मुखिया को या उसकी पत्नी में हार्ट अटैक , ब्रेन हैम्ब्रेज या साँस की तकलीफ जरूर होगी म उनको एक बेटे से अत्यथिक कष्ट होगा। बल्कि ऐसे घर में जितना मर्जी सुबह शाम पूजा पाठ क्र लो सब निष्फल होगा। हमेशा मन परेशान रहेगा। काम कारोबार हर दोस्त में प्रयास के मुताबिक फल सिर्फ 10% ही मिलेगा। इसका कारण वास्तु पुरुष जो हर जमीन के छोटे बड़े प्लाट में वास करता है उसका सर ईशाण कोण में पड़ता है और ईशाण कोण ईश्वर का स्थान है आप घर में पूजा जहाँ मर्जी करो उसका फल तब तक नहीं मिलेगा जब तक ईशाण कोण शुद्ध ना हो। यदि ईशाण कोण अशुद्ध है तो समझ लो भगवान ने आपका हाथ छोड़ दिया फिर आप चाहे किसी भी धर्म को मानने वाले हों। चाहे आप हिन्दू हो , मुस्लिम हो , सिख हो या ईसाई हो क्योंकि हर धर्म के देवता का सर ईशान कोण में माना जायेगा और आप सुबह शाम उस क्षेत्र को दूषित करोगे तो भगवान आपका साथ कैसे देगा। ये हमने बात की कुंडली में राहु को खाना न. 4 की अब यदि कुंडली में खाना न. 4 में है और हमारा ईशाण को पूर्ण रूप से शुद्ध है वहाँ मंदिर या स्वच्छ जल का श्रोत्र है तो राहु उतने बुरे परिणाम नहीं देगा। वैसे तो राहु चाहे कहीं भी हो ईशाण कोण यदि दूषित है तो कुंडली में बैठा शुभ ग्रह भी शुभ फल नहीं देगा। ऐसे ही दूसरा उदा यदि राहु कुण्डली में 12वे खाने में हो और छत पर कबाड़ , लोहे ,लक्क्ड़ का सामान पड़ा है। तो रात की नींद ख़राब होगी , खर्चे बेवजह , बेइंतहा होंगे। मन बचैने सर दर्द रहेगा। और यदि छत साफ़ है और राहु कुंडली में 12वें भाव में है और तो इतना अशुभ फल नहीं देगा जितना कबाड़ रखने पर देगा। मेरा कहने का मतलब यह है की किसी भी घर प्लाट आदि में अग्नि , वायु जब पृथ्वी आकाश तत्व का अपना -अपना स्थान सुनिश्चित है अर्थात आग्नेय कोण में अग्नि से संबंधित अर्थात हल्का रखा जाये। ईशाण कोण में जल से सम्बंधित काम , वायु कोण में वायु से सम्बंधित अर्थात हल्का रखा जाये। ईशाण कोण में जल से सम्बंधित (शुद्ध जल ) से काम या पूजा पाठ होना चाहिए। नैत्रात्य कोण पृथ्वी तत्व का है तो भारी मशीने भारी सामान , मास्टर बैडरूम होना चाहिये। ब्रह्म्य स्थान प्लाट मकान का मध्य बिंदु है जो खाली होना चाहिए जो आकाश तत्व का सूचक है। इसके अलावा भी चारों दिशाये अपने तत्व या मालिक ग्रह के मुताबिक फल देती है। कहा गया है जूतों का स्थान पैरों में है वे सर पर अच्छे नहीं लगते उसी प्रकार हर वस्तु का स्थान तत्व के मुताबिक निश्चित है
पायरा वास्तु शास्त्र :- आज के भौतिक युग में जबकि देश की जनसँख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है दूसरी तरफ रहने के लिये स्थान कम पड़ता जा रहा है प्लाट मकान बहुत महंगे हो गए है और आजकल तो मकान बने बनाये फ्लैट बड़ी बड़ी बिल्डिंग में मिलते है जो स्थानभाव के वजह से वास्तु नियमों के विरूद्व है और उसने तोड़ फोड़ करके उसे सही करना लगभग असंभव है तो उसके दुष्परिणाम को समाप्त करने के लिए आधुनिक वास्तु शास्त्र जो पिरामिड सिद्धांत पर कार्य करता है जिसे पायरा वास्तु शास्त्र कहते है बड़ा ही उपयोगी सिद्ध हुआ है। अब मकान में बिना तोड़ फोड़ किये बगैर किसी बड़े खर्चे के वास्तु को कुछ पिरामिड टूल्स के जरिये बिल्कुल ठीक किया जा सकता है। या बुरा प्रभाव समाप्त किया जा सकता है। पायरा वास्तु अचूक और अत्यंत ही सस्ता है। पायरा वास्तु सिद्धांत मिश्र देश में बने इजिप्ट के विशालकाय पिरामिड पर आधारित है जिसका कोण 51* 51 * 40 * हैं। और इन पिरामिड में अद्भूत शक्ति सम्मोहित है प्रकति से मिलने वाली प्राकृतिक शक्ति इसकी चोरी में हकीकत होकर चारों दिशाओं में समान रूप से फैलती है और अंदर स्थिति मनुष्य , फल , सब्जी और जीवित प्राणी पर शुभ प्रभाव डालती है , पिरामिड विश्व के सातवें अजूबे में शामिल है। इन पिरामिडों पर देश विदेश में अनेक वैज्ञानिको ने अनेक प्रयोग किये है जो पूर्ण रूप से सफल हुए है।
पिरामिड की अदभुत शक्ति :- पिरामिड के एक निश्चित कोण 51*51*40* की सरंचना की वजह से प्रकृति में स्थित शक्ति पिरामिड के ऊपरी हिस्से में एकत्रित होकर चारों दिशाओं में समान रूप से फैलती हैं। पिरामिड में एकत्रित शक्ति की वजह से पिरामिड में रखी गयी हजारों सालों पुरानी लासे भी सडी नहीं बल्कि ममी गयी है। पिरामिड को देख के देश विदेश के अनेक वैज्ञानिको ने लोहे,लकड़ी , गत्ते प्लास्टिक के पिरामिड बनाकर उन पर अनेक प्रयोग किये और अनेक प्रयोग सफल भी हुये।
इस पिरामिड पर आधारित वास्तु पायरा वास्तु कहलाता है क्योंकि इन पिरामिडों को वास्तु में समहित करके अनेक प्रयोग किये जो सफल हुए पिरामिड किसी भी दिशा की शक्ति 108 गुना बढा देती है। अतः घर में शुभ प्रभाव बढ़ाकर अशुभ प्रभाव को खत्म करके वास्तु का उपचार किया जाता है। पिरामिड के द्वारा दक्षिण द्वार आग्नेय कोण के द्वार आदि का पूर्ण हल किया जा सकता है।
पायरा वास्तु अत्यंत ही प्रभावी है और वास्तु दोष को समाप्त करने में और सुख शांति , बढ़ाने में सहायक है मैंने पायरा वास्तु का अत्यधिक अध्ययन व् प्रयोग किये है वो अपने अनुभव में पाया है की जिन समस्याओं का पुरातन वैदिक वास्तु में हल नहीं था उसका सम्पूर्ण हल पायरा वास्तु शास्त्र में है। पुरातन वास्तु शास्त्र में वास्तु ठीक करने क लिए तोड़ फोड़ करनी पड़ती थी जिसमें लाखों रूपए खर्च होते थे परन्तु पायरा वास्तु में थोड़े से खर्च से पायरा वास्तु टूल्स प्रयोग करके वास्तु ठीक किया जा सकता है। यदि आप अपने घर के वास्तुदोष की वजह से परेशान है तरक्की नहीं कर पा रहे। घर में कलह कलेश रहता है बीमारियों रहती है। पुत्र आज्ञाकारी नहीं हैं , नींद नहीं आती , खर्च अत्यधिक है तो आप वेबसाइट पर दिए नंबरो से हमपे संपर्क कर सकते है आपका पूर्ण रुप से समाधान किया जायेगा।
12 May 2018
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