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कहने को पति घर का प्रमुख़ और पत्नी का स्वामी होता है व्यवहारिक तौर पर ऐसा नहीं है
आज के दौर में पत्नी पति से कंधे से कन्धा मिलाकर चलने के लिए तैयार है उसे हम साथी मानने के लिए भी तैयार है परन्तु पति को स्वामी व खुद को दासी बनाने के कतई तैयार नहीं है आज के दौर में 100 में से 80 प्रतिशत घरो में पत्नी पति की अनबन कलह कलेश आम देखने लिए मिलती है। तलाक तो अब आम बात हो गयी है एक समय था जब तलाक नाम से स्त्री पुरुष भयभीत हो जाते थे परन्तु आजकल छोटी छोटी बातो पर तलाक हो जाते है

जिसका एक विशेष कारण विचारो की असमानता तो है ही साथ ही शादी से लड़का लड़की का कुण्डली मिलान ना करवाना भी है वैवाहिक जीवन अशांत होने के कुछ ज्योतिषीय कारण भी है जो निम्न है :-

1. लड़के या लड़की की कुंडली में मंगलदोष :- अधिकतर शादी के वक़्त कुण्डली मिलान ना होने के कारण कुण्डली में उपस्थित मंगल दोष चाहे वह लड़के की कुंडली में हो या लड़की की, शादी शुदा जीवन में अशान्ति का कारण बनता है। मंगल दोष कभी कभी इतना प्रभावशाली होता है की दोनों में से किसी एक की मृत्यु का कारण भी बनता है।

मंगलदोष है क्या :- मंगल ग्रह चंचल तथा क्रोधी स्वभाव का ग्रह है। यदि मंगल दोष युक्त अथवा कुंडली में अशुभ हो तो गृहस्थ जीवन पर विशेष प्रभाव पड़ता है। घर में वाद विवाद ,घरेलू झगडे। अशांति ,पति पत्नी की जुदाई आदि कई प्रकार की समस्याएं खड़ी करता है। मंगल विवाह सम्बन्धी घटनाओ का कारक तथा सूचक ग्रह भी है। मंगल की शुभ स्थिति के बिना पति पत्नी में प्रेम प्यार होना बड़ा ही कठिन है। अतएव कुंडली मिलान करते समय सर्वप्रथम इस बात का ध्यान आवश्यक होता है। यदि मंगल,मंगल के लिए अशुभ भावो में है तो मंगल दोषयुक्त तथा मांगलिक है मंगल ग्रह 1 -2 -4 -7 -8 -12 भावों में हो तो मांगलिक होता है। यह स्थिति चंद्र राशि से भी देखी जाती है और शुक्र से भी देखी जाती है और शुक्र भी मंगल की स्थिति देखी जाती है।

स्थिति अनुसार मंगल का प्रभाव :-
पहले भाव में मंगल:- साथी के स्वास्थ एवं आयु पर कुप्रभाव।
दूसरे भाव में मंगल :- दुःख ,क्लेश ,साथी को दुःख \एवं कष्ट ,संतान का अभाव तथा कुटुम्भ गड़बड़।
चौथा भाव :- घर का सुख न हो।
सातवा भाव:- साथी के स्वास्थ्य पर प्रभाव।
आठवा भाव :- जीवन मृत्यु का भाव विवाहित जीवन को कम करता है।
बारहवां भाव :- घर, शांति सुख में कमी ,क्यूंकि यह भाव हानि एवं परेशानी का है।
मंगल की इन भावों में देखकर ही यह परिणाम नहीं निकाल लेना चाहिये की मंगलियोग अथवा मंगलदोष है बल्कि मंगल की स्थिति लग्न से, चंद्र लग्न से एवं शुक्र से जाँच करके ही परिणाम निकालना चाहिए चाहिए। यदि दोनों स्थितियों में ही मंगल दोष युक्त है जिसमें शुक्र एवं लग्न मुख्य स्थितिया है तभी मांगलिक दोष माना जायेगा।
यथा :
1 .यदि शुक्र से मंगल 1 -2 -4 -7 -8 -12 भावों में हो तो मान ले 40 प्रतिशत दोष।
2 .यदि चंद्र से मंगल 1 - 2 -4 -7 -8 -12 भावों में हो तो मान ले 30 प्रतिशत दोष।
3 .यदि लग्न से मंगल 1 - 2 -4 -7 -8 -12 भावों में हो तो मान ले 30 प्रतिशत दोष। अथवा यू कह ले शुक्र से मंगल ;पहली श्रेणी का ,चंद्र से से मंगल दूसरी श्रेणी का , लग्न से मंगल तीसरी श्रेणी का दोष होगा।

विवाहोपरान्त तलाक :- यह अशुभ स्थिति कुण्डली में उस समय साफ़ दिखाई देती है जब 2 -7 -11 भावो में अशुभ ग्रह हो तथा इन पर प्रभाव भी अशुभ ही पड़ रहा है यदि विवाह के कारक ग्रह और भाव शनि , राहु जैसे अशुभ ग्रहों के प्रभावाधीन हो तो तलाक , विवाह विच्छेद निश्चित होता है इस तरह आपने देख लिया है की विवाह , गृहस्थ जीवन से सम्बंधित भावों , सूचक एवं कारक ग्रहो पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि अथवा कुप्रभाव किस प्रकार ग्रहस्थ जीवन को दुखों में बदल देता है और मन अशांत कर देता है। यद्यपि प्लैटो , नैप्चून शनि आदि भी प्रभाव डालते है परन्तु विवाह से संबन्धित जीवन पर राहु का अधिक प्रभाव देखा गया है। यदि राहु विवाह सूचक ; कारक ग्रहो अथवा भावों के स्वामियों से संबधित होता है तो किसी ना किसी पक्ष से अशांति ही देता है।जैसे :-

1 . चंद्र राहु :-मानसिक चिन्ता , पति पत्नी की मानसिक स्थिति में असंतुलन।
2. मंगल राहु :- अड़ियल स्वभाव अथवा एक दूसरे की भावनाओ को ठेस पहुँचाना
3. शुक्र राहु :- पत्नी के अलावा अन्य स्त्री से सम्बन्ध के बिना वजह अथवा माता पिता की मर्जी की बिना विवाह
4. सूर्य राहु :- पति पत्नी में पद ओहदे अथवा आथिर्कता को लेकर मतभेद।
5. शनि राहु :- एक दूसरे से अलग रहे अशांति
6. बुध राहु :- दिमागी तादतथ्य की कमी के अशांति।
7. मंगल शुक्र राहु :- घरेलु अशांति दुःख हो।
8. शुक्र चंद्र राहु :- प्रेम में घाटा ही घाटा , स्त्रियों से हानि ,घरेलू अशांति , पराई औरत के साथ संग हो जाये।

उपरोक्त सभी कारन ज्योतिषीय कारण है। इन सभी कारणों का प्रथम उपाय तो यही है की कुंडली मिलान सही से योग्य ज्योतिषी से कराया जाये। इसके बाद भी यदि कुंडली मिलान नहीं हुआ तो उपरोक्त कारणों से वैवाहिक जीवन कष्टमय हो तो आप पंडित जी से मिलकर लाल किताब के अचूक उपायों द्वारा तथा यंत्र मन्त्र द्वारा अपना ग्रहस्थ जीवन टूटने से बचा सकते है।

तांत्रिक क्रिया अथवा जादू टोना :- कभी कभी देखने में आता है की काफी सालों से पति पत्नी बहुत अच्छे से रह रहे थे अचानक दोनों में कलह कलेश होने लगता है। बात बात में झगड़ा ,दोनों में से किसी एक की सेहत ख़राब रहना इसका एक बड़ा कारण तांत्रिक दोष जादू टोना भी हो सकता है। इसकी एक बड़ी पहचान यह है की अक्सर क्लेश सूर्यास्त के बाद से शुरू होगा और देर रात तक चलेगा ,पत्नी को शाम के वक़्त से ही पति से घृणा होने लग जाएगी। पत्नी काटने का मन करेगा। रात में अक्सर सपने में पत्नी के साथ सम्भोग क्रिया होगी और सपने में दिखने वाले व्यक्ति का चेहरा नहीं दिखेगा या वह कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसके बारे में जागते हुए सोच भी नहीं सकती जैसे भाई,पिता ,चाचा आदि। यह सभी कारण किसी चौराहे से टूना वगैरह लाँघ जाने से या ऐसे ही किसी सुनसान जगह पर बाथरूम करने से ये जिन्न ,शैतान प्रेत,मशान आदि के रूप में स्त्री के शरीर में प्रवेश कर जाते है और पति से पत्नी को दूर कर देते है,अक्सर दुश्मन हमारे आस पास वाले ही जो किसी का सुखी घर देखकर खुश नहीं रह पाते या कई बार कोई ऐसा इंसान भी होता है जो पति या पत्नी दोनों में से किसी एक को पाना चाहता है जिसके लिए वह किस तांत्रिक क पास जाकर स्त्री की फोटो से तंत्र करवा देता है या कोई पढ़ी हुयी चीज स्त्री को खिला देता है ताकि वह स्त्री अपने पति से घृणा करने लग जाये और उससे दूर हो जाये। दोस्तों यह बड़ा निंदनीय अपराध है अतः इससे बचे।

दोस्तों यदि आपको शक है आपको लगता है हमारे ऊपर कोई ऊपरी बाधा से ग्रहस्थ जीवन ख़राब हो रहा है तो आप हमें फ़ोन पर संपर्क करे या आकर मिले हम अगर कारन ऊपरी है तो फ़ोन पर भी चैक करके बता सकते है और साबित कर सकते है की यह वास्तव में क्या है ऊपरी कारन या ज्योतिषीय कारण , कारण जो भी हो उसका समाधान गारंटी से किया जायेगा। अतः एक बार अवश्य फ़ोन करे या आकर मिले।

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