हर युवा लड़का, लड़की विवाह के लिए उत्सुक होते है। यह स्भाविक ही है। हर प्रेमी अपनी प्रेमिका के साथ ही विवाह करवाने के लिये कई उपाय करता है , कई बार सफलता मिलती है और कई बार असफलता सामना करना पड़ता है विवाह के पश्चात ग्रहस्थ सुख , शांति , संतान , एवं संतान का सुख हर कोई चाहता है क्या यह सब कुछ प्रत्येक व्यक्ति को मिलता है शायद नहीं। विवाह से सम्बंधित एवं ग्रहस्थ सुख हेतु कुंडली में 7 ऐसे भाव या खाने है जिनका विशेष महत्त्व है ये भाव या खाने है 2 -4 -5 -7 -8 -11 -12 वा
आज के दौर में पत्नी पति से कंधे से कन्धा मिलाकर चलने के लिए तैयार है उसे हम साथी मानने के लिए भी तैयार है परन्तु पति को स्वामी व खुद को दासी बनाने के कतई तैयार नहीं है आज के दौर में 100 में से 80 प्रतिशत घरो में पत्नी पति की अनबन कलह कलेश आम देखने लिए मिलती है। तलाक तो अब आम बात हो गयी है एक समय था जब तलाक नाम से स्त्री पुरुष भयभीत हो जाते थे परन्तु आजकल छोटी छोटी बातो पर तलाक हो जाते है
दूसरा भाव :- कुटुम्भ , आर्थिक स्थिति दिखलाता है।
चौथा भाव :- घर का वातावरण , परिवेश एवं घर का सुख बतलाता है।
पाँचवा भाव :- संतान ,प्रेम , पति / पत्नी प्यार भी दिखलाता है।
सातवाँ भाव :- विवाह , साझेदारी , पति/पत्नी से संबंधित है।
आठवां भाव :- गुप्तांगो एवं काम शक्ति से सबंधित है।
ग्यारहवां भाव :- इच्छाएं , मनोकामनाए पूरी होने से सबंधित है।
बारहवाँ भाव :- शय्या अथवा शानित सुख तथा प्रथम संतान का सूचक है।
ये सभी भाव किसी न किसी प्रकार से सीधे ही विवाह , ग्रहस्थ सुख , संतान प्रेम तथा इच्छापूर्ति से संबंधित है। जन्म कुंडली में इन भावो की स्थिति , इन भावों के स्वामी ग्रहों की स्थिति तथा इन पर पड़ने वाले अशुभ अथवा शुभ दृष्टि परखने से ही विवाह संबन्धी , ग्रहस्थ , सुख , शांति , निराशा एवं दुःख जाने जा सकते है। अतः मेरा कहने का मकसद ये है की यदि कुंडली का मिलान योग्य ज्योतिषी से कराया जाये तो वह पूरी तरह कुंडली का विश्लेषण करके आपको यह बता देगा की उक्त लड़के या लड़की से आपका विवाह शुभ रहेगा या नहीं। मिलान करते हुए अष्टकूट मिलान भी किया जाता है।
अष्टकूट गुण मिलान :-ज्योतिष में लग्न को शरीर और चन्द्रमा को मन कहा गया है। प्रेम मन से होता है शरीर हो नहीं। इसी लिए आचार्यो ने जन्म राशि एवं जन्म नक्षत्र से मिलान पद्धति में निम्नलिख्ति आधारभूत तत्वों का विचार किया जाता है जिन्हे अष्ट : कहते हैं :-
1.वर्ण
2. वश्य
3. तारा
4. योनि
5. ग्रहमंत्री
6. ग्रहमेत्री
7. भकूट
8. नाड़ी
इनमें क्रमश: एक एक अधिक ग्रुप पाया जाता है अर्थात वर्ण का 1 , वश्य का 2 , तारा के 3 ,योनि के 4 , ग्रहमेत्री के 5, ग्रहमेत्री के 6, भकूट के 7 और नाड़ी के 8 गुण होते है। इस प्रकार कुछ 36 गुण होते है। इनमें से कम से कम 18 गुण मिलने पर विवाह किया जाता है इसके अलावा मांगलिक दोष विचार भी किया जाना चाहिए।
मांगलिक विचार :- जब वर या कन्या की कुंडली में लग्न से चंद्रमा से व शुक्र से कह से खाना न. 1 -2 -4 -7 -8 -12 वे खाने में मंगल विराजमान हो तो मांगलिक दोष होता है जो पति पत्नी के वैवाहिक जीवन को कम करता है यह सब देखने के अलावा कुंडली में पहले बताये गये भावों का भी सूक्ष्म विशलेषण करना अनिवार्य है
हमारे यहाँ कुंडली का मिलान , अष्टकुट गुण ,विचार , मांगलिक विचार के साथ कुंडली में बैठे शुभ अशुभ ग्रहों को देखकर सूक्ष्म विश्लेषण करके किया जाता है। ताकि हमारे मित्र शादी के बाद सुखी ग्रहस्थ जीवन यापन कर सके।
कुंडली का सूक्ष्म रूप से विश्लेषण करके मिलान करवाने के लिए आप हमारे महाविद्या ज्योतिष केंद्र में पधार सकते है या वेबसइट पर दिए नंबरो पर सम्पर्क कर सकते है आप कभी निराश नहीं होंगे ।
12 May 2018
12 May 2018
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